भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई द्वितीय द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के अंतर्गत आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज समापन हुआ । कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉक्टर पंकज नौटियाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई II ने केंद्र द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत की जा रही गतिविधियों की जानकारी दी।प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ संजय अरोड़ा, प्रधान वैज्ञानिक क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र लखनऊ ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करते हुए आवाहन किया कि भूमि के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए हमें फसल अवशेषों को भूमि में मिलाना ही होगा क्योंकि भूमि से जो हम उपज प्राप्त करते हैं उसके बदले में हमें भूमि को भी कुछ वापस देना जरूरी है तभी हम टिकाऊ खेती कर सकते हैंजिसके लिए उन्होंने सूक्ष्म जीवों के उपयोग तथा बायो फॉर्मूलेशन जैसे हेलो सी आर डी के महत्व एवं उपयोग पर प्रकाश डाला। फसल संरक्षण में जल के उचित उपयोग तथा जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन पर डॉ अतुल कुमार सिंह, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र लखनऊ ने जानकारी साझा की ।कार्यक्रम में क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह ने फसल प्रबंधन द्वारा मृदा में पोषक तत्वों को बढ़ाने की विधियो की विस्तृत चर्चा की। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विभिन्न व्याख्यानों तथा विधि प्रदर्शनों के बारे में संक्षिप्त व्याख्या तथा सारांश डॉ त्रलोकी सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया प्रशिक्षण के अंतिम दिन प्रशिक्षणार्थियों का प्रशिक्षण पश्चात मूल्यांकन किया गया तथा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ त्रिलोक नाथ राय द्वारा किया गया। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल आयोजन में केंद्र के विशेषज्ञों अंजली साहू ,मोहित सिंह ,थन्गा अनसूया तथा अन्य सहयोगियों में सोमवीर,सत्येंद्र ,निखिल आदि का योगदान रहा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद -केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई-II, द्वारा 5 दिसंबर 2024 को विश्व मृदा दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें जिले भर से आए किसानों को मृदा स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी दी गई । कार्यक्रम की शुरुआत केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र डॉ. पंकज नौटियाल द्वारा की गई, जिसमें उन्होंने मृदा स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और मिट्टी के जांच के फायदे के बारे में जानकारी दी । 'मिट्टी ही जीवन है.' खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैव विविधता को बनाये रखने में मिट्टी का स्वस्थ होना अनिवार्य है, साथ ही मृदा नमूना लेने के सही तरीके विषय पर केंद्र के मृदा विशेषज्ञ डॉ त्रिलोक नाथ राय ने जानकारी दी । डॉ त्रलोकी सिंह, शस्य विज्ञान विशेषज्ञ ने मृदा प्रशिक्षण एवं मिट्टी के पोषक तत्वों की जानकारी दी | प्रसार विशेषज्ञ मोहित सिंह ने मंच सफल संचालन के साथ मृदा स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न जानकारियां दी । प्रकृतिक खेती क्या है और मृदा में प्रकृति खेती से उसका स्वास्थ कैसे ठीक कर सकते हैं, इसकी जानकारी थांगा अनुसया, मत्स्य विज्ञान विशेषज्ञ ने दी। आयोजन में जिले के परसा, पूरवामान, लालामाऊ, मदारी खेडा, छावन, रामपुर, धिकुन्नी, पवाया, सरवा, बरैया, पिरनखेड़ा ,मदारी खेड़ा, बसंतापुर प्रगतिशील कृषकों समेत 135 से अधिक प्रगतिशील किसान मौजूद रहे। जिसमे 35 किसानो को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये |
भारतीय अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई द्वितीय द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई द्वितीय द्वारा अनुसूचित जाति उप योजना के अंतर्गत अंगीकृत गांव पवाया में समग्र मछली पालन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ पंकज नौटियाल ,अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को एकीकृत फसल प्रणाली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया एकीकृत फसल प्रणाली में मछली पालन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मछली पालन में तालाब के संपूर्ण संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए किस प्रकार मछली उत्पादन किया जा सकता है इस विषय पर विस्तार से जानकारी थन्गा अनसूया, विशेषज्ञ ,मत्स्य संसाधन प्रबंधन द्वारा दी गई उन्होंने बताया की 0.5 से लेकर 2 हेक्टेयर आकार तक का तालाब आदर्श तालाब होता है जिसमें लगभग छह प्रकार की मछलियां जैसे भाकुर या कतला,रोहू कॉमन कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, ग्रास कार्प का पालन किया जा सकता है तथा अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। मछली के पोषणीय महत्व पर प्रकाश डालते हुए अंजलि साहू, विषय वस्तु विशेषज्ञ गृह विज्ञान द्वारा स्वास्थ्य के लिए पोषक भोजन पर जानकारी दी गई। समसामयिक विषयों पर प्रकाश डालते हुए डॉ त्रलोकी सिंह ,विशेषज्ञ सत्य विज्ञान ने रवि मौसम की फसलों में पोषक तत्व प्रबंधन एवं सिंचाई प्रबंधन पर जानकारी दी। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 27 किसानों एवं महिलाओ ने भाग लिया
Block-level awareness program on Crop Residue Management with around 150 participants was organised at KVK Hardoi-II. Dr. Pankaj Nautiyal, Sr. Scientist cum Head, explained the importance of crop residue management. Dr. Traloki Singh, SMS Agronomy, explained the use of bioformulations like Halo-CRD as alternative methods of CRM. Mr. Mohit Singh, SMS, Agricultural Extension, informed farmers about the harmful effects of burning crop residues, including air pollution, loss of soil fertility, and climate change